📖 संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणा (UDHR) 1948 के अनुच्छेद 15 के अनुसार:
1️⃣ हर व्यक्ति को राष्ट्रीयता (नागरिकता) का अधिकार है।
2️⃣ किसी को उसकी राष्ट्रीयता से मनमाने तरीके से वंचित नहीं किया जाएगा और न ही राष्ट्रीयता बदलने के अधिकार से रोका जाएगा।
📌 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए इसका महत्व
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए नागरिकता का अधिकार बेहद अहम होता है, क्योंकि:
कई बार तानाशाही या दमनकारी सरकारें एक्टिविस्ट्स की नागरिकता छीनकर उन्हें कानूनी पहचान से वंचित करने की कोशिश करती हैं।
नागरिकता व्यक्ति को कानूनी सुरक्षा, यात्रा करने का अधिकार, पासपोर्ट पाने का हक़, और सामाजिक व राजनीतिक अधिकार देती है।
अगर कोई कार्यकर्ता किसी देश में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है और उसे देश छोड़ना पड़ता है, तो उसकी नागरिकता ही उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शरण पाने और कानूनी सुरक्षा दिलाने में मदद करती है।
📌 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ होने वाले नागरिकता अधिकार उल्लंघन
सरकारों द्वारा एक्टिविस्ट्स की नागरिकता रद्द करना।
अल्पसंख्यक समुदाय के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नागरिकता देने से इनकार करना।
जानबूझकर कुछ एक्टिविस्ट्स को बिना नागरिकता के (Stateless) छोड़ देना।
यह सब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के खिलाफ है।
📌 उदाहरण:
बहरीन, म्यांमार, बेलारूस जैसे देशों में सरकारों ने कई बार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नागरिकता खत्म कर दी है, जिसकी संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने कड़ी निंदा की है।
📌 निष्कर्ष:
नागरिकता का अधिकार न केवल एक व्यक्तिगत हक है, बल्कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए एक सुरक्षा कवच भी है। इसे छीनना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है।
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