google.com, pub-7314354026449841, DIRECT, f08c47fec0942fa0 जज से हुई गलती, खुद को दी सजा, अब बने देवता – केरल का अनोखा मंदिर केरल के कोट्टायम जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहाँ पूजा किसी पौराणिक देवता की नहीं, बल्कि 18वीं सदी में त्रावणकोर रियासत के जज गोविंद पिल्लै की होती है। लगभग 200 साल पहले, जज गोविंद पिल्लै ने अपने भतीजे को गलती से फांसी की सजा सुना दी। बाद में जब उन्हें यह पता चला कि उनका फैसला गलत था, तो उन्होंने स्वयं को कठोर सजा दी और अपने जीवन का अंत किया। जज की आत्मा की शांति के लिए उनके वंशजों ने चेरुवल्ली देवी मंदिर में उनके लिए एक अलग गर्भगृह बनवाया। यहाँ उन्हें जजयम्मावन के नाम से पूजा जाता है। माना जाता है कि वे अदालत से जुड़ी परेशानियों में लोगों की मदद करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। मंदिर प्रतिदिन केवल 45 मिनट के लिए खुलता है, पूजा रात 8 बजे शुरू होती है। मुख्य प्रसाद ‘अड़ा’ होता है, जिसे कच्चे चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है। स्थान: चेरुवल्ली देवी मंदिर, पोनकुन्नम-मणिमाला हाईवे, कोट्टायम, केरल। नजदीकी रेलवे स्टेशन: कोट्टायम (37 किमी दूर)। #Kerala #JudgeTemple #GovindaPillai #UnusualTemples #FaithAndJustice #IndianHistory #TempleStories #SpiritualJourney #JudiciaryAndFaith ~ Aalamban Charitable Trust & WHRO

Friday, 12 December 2025

जज से हुई गलती, खुद को दी सजा, अब बने देवता – केरल का अनोखा मंदिर केरल के कोट्टायम जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहाँ पूजा किसी पौराणिक देवता की नहीं, बल्कि 18वीं सदी में त्रावणकोर रियासत के जज गोविंद पिल्लै की होती है। लगभग 200 साल पहले, जज गोविंद पिल्लै ने अपने भतीजे को गलती से फांसी की सजा सुना दी। बाद में जब उन्हें यह पता चला कि उनका फैसला गलत था, तो उन्होंने स्वयं को कठोर सजा दी और अपने जीवन का अंत किया। जज की आत्मा की शांति के लिए उनके वंशजों ने चेरुवल्ली देवी मंदिर में उनके लिए एक अलग गर्भगृह बनवाया। यहाँ उन्हें जजयम्मावन के नाम से पूजा जाता है। माना जाता है कि वे अदालत से जुड़ी परेशानियों में लोगों की मदद करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। मंदिर प्रतिदिन केवल 45 मिनट के लिए खुलता है, पूजा रात 8 बजे शुरू होती है। मुख्य प्रसाद ‘अड़ा’ होता है, जिसे कच्चे चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है। स्थान: चेरुवल्ली देवी मंदिर, पोनकुन्नम-मणिमाला हाईवे, कोट्टायम, केरल। नजदीकी रेलवे स्टेशन: कोट्टायम (37 किमी दूर)। #Kerala #JudgeTemple #GovindaPillai #UnusualTemples #FaithAndJustice #IndianHistory #TempleStories #SpiritualJourney #JudiciaryAndFaith

 


जज
से हुई गलती, खुद को दी सजा, अब बने देवताकेरल का अनोखा मंदिर

केरल के कोट्टायम जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहाँ पूजा किसी पौराणिक देवता की नहीं, बल्कि 18वीं सदी में त्रावणकोर रियासत के जज गोविंद पिल्लै की होती है। लगभग 200 साल पहले, जज गोविंद पिल्लै ने अपने भतीजे को गलती से फांसी की सजा सुना दी। बाद में जब उन्हें यह पता चला कि उनका फैसला गलत था, तो उन्होंने स्वयं को कठोर सजा दी और अपने जीवन का अंत किया।

जज की आत्मा की शांति के लिए उनके वंशजों ने चेरुवल्ली देवी मंदिर में उनके लिए एक अलग गर्भगृह बनवाया। यहाँ उन्हें जजयम्मावन के नाम से पूजा जाता है। माना जाता है कि वे अदालत से जुड़ी परेशानियों में लोगों की मदद करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

मंदिर प्रतिदिन केवल 45 मिनट के लिए खुलता है, पूजा रात 8 बजे शुरू होती है। मुख्य प्रसादअड़ाहोता है, जिसे कच्चे चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है।

स्थान: चेरुवल्ली देवी मंदिर, पोनकुन्नम-मणिमाला हाईवे, कोट्टायम, केरल।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: कोट्टायम (37 किमी दूर)

 

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