WHRO/ कड़वी लेकिन सच्ची बातें।
सोशल होना हर किसी के बस की बात नहीं। कुछ के पास संसाधन नहीं तो ठीक है, लेकिन कुछ लोगो के पास जिगर नहीं। संसाधन धन दौलत तो होती है लेकिन अगर कुछ करने की इच्छा नहीं हो तो सब जीरो हो जाता है। कुछ के पास अच्छा बुरा पहचानने की क्षमता नहीं, वो हर किसी को फ्रोड कहने लगते हैं। कुछ को केजरीवाल वाली मुफ्त की आदत हो जाती है, वो सोचते है कि भगतसिंह पैदा तो हो, लेकिन पडोसियों के घर में। अपनी जेब से निकालना उनकी आदत नहीं होती। जबकि ये तय है कि हम अपने साथ एक सुंई तक नहीं ले जाएंगे।
जबकि कुछ लोग ऐसे है जो तलाश कर योग्य की मदद करते हैं। बिना कहे मदद करना जिनका स्वभाव होता है। छोटा योगदान रोजाना करते रहते हैं। मदद किसी भी रुप में होसकती है, किसी की पैसे से मदद हो सकती है, किसी की कुछ प्रयास कर देने से, किसी को भोजन कराने से मदद हो जाती है तो किसी को अपने पुराने कपड़े, जूते या घरेलू सामान दे देने से मदद कीजा सकती है।
सामाजिक लोग खुद तय करते है कि उन्हें पहली केटेगरी में रहना है या दूसरी। आपके पास समय नहीं है तो आप एसे संगठन को मदद कर सकते हैजो खुद इस काम मे लगा है। उनकी परख करो, उनसे बात करो, जानकारी लो, सही लगे तो जुडें। मान सम्मान तो मिलेगा ही,साथ ही दुआएं भी मिलेंगी। मानव अधिकारो के लिए काम करने वाले कुछ ही संगठन है विश्व में। गली मोहल्ले वाली एनजीओ से दूर बडा सोचें तो न्याय, शिक्षा, बराबरी, भूख, जीवन का अधिकार आदि के लिए कार्य करने वाले संगठनो मे से एक है world human rights organization
जानकारी लें, वटसअप करें, सोचे, अपने सवाल रखें, तब जुडने के लिए अपनी डिटेल्स व इच्छा वटसअप पर भेजें।
WORLD HUMAN RIGHTS ORGANIZATION
WHATSAPP/7011490810
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